बनारस और कहानी का वही रिश्ता है जो शरीर और आत्मा का है। हर शख्स का अपना बनारस है और हर शख़्स की अपनी कहानी। मेरा भी अपना बनारस रहा है और उसकी अपनी कहानी। उस कहानी को करीब दस साल को देखा है।
इश्क बनारसी भी वही है। खट्टी-मीठी, तीखी, थोड़ी सी नमकीन। बनारस की गलियों में सुस्वादु व्यंजन जैसी पकती हुई। सुन जाइये। अच्छा लगेगा।
बनारस और कहानी का वही रिश्ता है जो शरीर और आत्मा का है। हर शख्स का अपना बनारस है और हर शख़्स की अपनी कहानी। मेरा भी अपना बनारस रहा है और उसकी अपनी कहानी। उस कहानी को करीब दस साल को देखा है।
इश्क बनारसी भी वही है। खट्टी-मीठी, तीखी, थोड़ी सी नमकीन। बनारस की गलियों में सुस्वादु व्यंजन जैसी पकती हुई। सुन जाइये। अच्छा लगेगा।