अस्तबल में नीलोत्पल मृणाल नए मुखर्जी नगर की वास्तविक झलक दिखाते हैं, जहाँ UPSC की तैयारी का सपना अब गहरी खाई में डूब चुका है। CSAT के नए पैटर्न ने पुराने हिंदी माध्यम के छात्रों को जैसे खारिज़ कर दिया है। पुराने धुरंधर कहते हैं, “हमसे ना हो पाएगा।” नए बांकुरे, जैसे रोहन त्रिवेदी, रेड बुल के घूँट के साथ जवाब देते हैं, “हमसे ही होगा!” यहाँ की लड़कियाँ चौखट लाँघकर अपना हक़ छीनने आई हैं। दूसरी तरफ PCS के जाल में फँसी पुरानी पीढ़ी, शादी-ब्याह के दबाव में घुटती जा रही है। अस्तबल इन्हीं संघर्षों का इमानदार दस्तावेज़ है।
अस्तबल में नीलोत्पल मृणाल नए मुखर्जी नगर की वास्तविक झलक दिखाते हैं, जहाँ UPSC की तैयारी का सपना अब गहरी खाई में डूब चुका है। CSAT के नए पैटर्न ने पुराने हिंदी माध्यम के छात्रों को जैसे खारिज़ कर दिया है। पुराने धुरंधर कहते हैं, “हमसे ना हो पाएगा।” नए बांकुरे, जैसे रोहन त्रिवेदी, रेड बुल के घूँट के साथ जवाब देते हैं, “हमसे ही होगा!” यहाँ की लड़कियाँ चौखट लाँघकर अपना हक़ छीनने आई हैं। दूसरी तरफ PCS के जाल में फँसी पुरानी पीढ़ी, शादी-ब्याह के दबाव में घुटती जा रही है। अस्तबल इन्हीं संघर्षों का इमानदार दस्तावेज़ है।