गाँव और शहर दोनों की कहानियाँ और एक साथ कहने में श्रीलाल शुक्ल माहिर है। और बहुत कम पृष्ठों में कहानी के भीतर कहानी इस तरह पिरोते चले जाते हैं कि पूरा पढ़े बिना पाठक चैन नहीं लेता। अज्ञातवास एक ऐसी ही अफसर श्रेणी के इंजीनियर की कहानी है जिसकी स्मृतियां एक चित्र को देखकर जाग उठती हैं और जो अपने स्वयं के मित्रों के जिस गांव में उसका डेरा है वहाँ के निवासियों के और अपनी बेटी के भी जीवन की घटनाओं को पर्त-दर-पर्त सामने रखती चली जाती हैं। उसकी पत्नी और उपपत्नी की कथा उपन्यास का चरम बिन्दु है जो बिलकुल अंत में जाकर स्पष्ट होता है। अज्ञातवास निश्चित रूप से एक श्रेष्ठ,पठनीय उपन्यास है।
अज्ञातवास एक ऐसी ही अफसर श्रेणी के इंजीनियर की कहानी है जिसकी स्मृतियां एक चित्र को देखकर जाग उठती हैं और जो अपने स्वयं के मित्रों के जिस गांव में उसका डेरा है वहाँ के निवासियों के और अपनी बेटी के भी जीवन की घटनाओं को पर्त-दर-पर्त सामने रखती चली जाती हैं।
गाँव और शहर दोनों की कहानियाँ और एक साथ कहने में श्रीलाल शुक्ल माहिर है। और बहुत कम पृष्ठों में कहानी के भीतर कहानी इस तरह पिरोते चले जाते हैं कि पूरा पढ़े बिना पाठक चैन नहीं लेता। अज्ञातवास एक ऐसी ही अफसर श्रेणी के इंजीनियर की कहानी है जिसकी स्मृतियां एक चित्र को देखकर जाग उठती हैं और जो अपने स्वयं के मित्रों के जिस गांव में उसका डेरा है वहाँ के निवासियों के और अपनी बेटी के भी जीवन की घटनाओं को पर्त-दर-पर्त सामने रखती चली जाती हैं। उसकी पत्नी और उपपत्नी की कथा उपन्यास का चरम बिन्दु है जो बिलकुल अंत में जाकर स्पष्ट होता है। अज्ञातवास निश्चित रूप से एक श्रेष्ठ,पठनीय उपन्यास है।
अज्ञातवास एक ऐसी ही अफसर श्रेणी के इंजीनियर की कहानी है जिसकी स्मृतियां एक चित्र को देखकर जाग उठती हैं और जो अपने स्वयं के मित्रों के जिस गांव में उसका डेरा है वहाँ के निवासियों के और अपनी बेटी के भी जीवन की घटनाओं को पर्त-दर-पर्त सामने रखती चली जाती हैं।