अनिरुद्ध पाठक एक लेखक था, स्थापित लेखक था लेकिन उसके साथ अनहोनी ये थी कि वह अपने ही रचे हुए एक किरदार से पनाह मांग रहा था। उसी की कल्पना से उपजा वह किरदार उसी की जिंदगी पर हावी था।
अनिरुद्ध पाठक एक लेखक था, स्थापित लेखक था लेकिन उसके साथ अनहोनी ये थी कि वह अपने ही रचे हुए एक किरदार से पनाह मांग रहा था। उसी की कल्पना से उपजा वह किरदार उसी की जिंदगी पर हावी था।