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मातोश्री [Matoshree]

सुमित्रा महाजन
4.21/5 (73 ratings)
अहिल्याबाई होलकर एक बेटे, एक परिवार की नहीं, समस्त प्राणिमात्र की माँ बन गईं और प्रजा ने उन्हें प्रातः स्मरणीय, पुण्यश्लोका, देवी, लोकमाता मान अपनी आत्मा में स्थान दे रखा है।
प्रस्तुत नाटक ‘मातोश्री’ उसी चरित्र की नाटकीय प्रस्तुति है। लेखिका ने इसे देवी की प्रेरणा से लिपिबद्ध किया है। नाटक पठनीयता के स्थान पर प्रभावी अभिनयता के कारण अधिक गहरा और लंबे समय तक प्रभाव कायम रखता है। सुमित्राजी लेखिका नहीं हैं, लेकिन देवी के प्रति श्रद्धा एवं पूजाभाव ने उनसे नाटक लिखवा सिद्धहस्त नाटककार बना दिया।
नाटक ‘मातोश्री’ देवी अहिल्याबाई के मातृत्व के श्रेष्ठ गुणों का परिचायक है। नाटक न केवल पठनीय है, वरन् मंचनीय भी है, क्योंकि इसमें नाटक एवं मंचन की दृष्टि से सारे तत्त्व मौजूद हैं।
स्
Format:
Pages:
pages
Publication:
Publisher:
Edition:
Language:
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:

मातोश्री [Matoshree]

सुमित्रा महाजन
4.21/5 (73 ratings)
अहिल्याबाई होलकर एक बेटे, एक परिवार की नहीं, समस्त प्राणिमात्र की माँ बन गईं और प्रजा ने उन्हें प्रातः स्मरणीय, पुण्यश्लोका, देवी, लोकमाता मान अपनी आत्मा में स्थान दे रखा है।
प्रस्तुत नाटक ‘मातोश्री’ उसी चरित्र की नाटकीय प्रस्तुति है। लेखिका ने इसे देवी की प्रेरणा से लिपिबद्ध किया है। नाटक पठनीयता के स्थान पर प्रभावी अभिनयता के कारण अधिक गहरा और लंबे समय तक प्रभाव कायम रखता है। सुमित्राजी लेखिका नहीं हैं, लेकिन देवी के प्रति श्रद्धा एवं पूजाभाव ने उनसे नाटक लिखवा सिद्धहस्त नाटककार बना दिया।
नाटक ‘मातोश्री’ देवी अहिल्याबाई के मातृत्व के श्रेष्ठ गुणों का परिचायक है। नाटक न केवल पठनीय है, वरन् मंचनीय भी है, क्योंकि इसमें नाटक एवं मंचन की दृष्टि से सारे तत्त्व मौजूद हैं।
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ISBN10:
ISBN13:
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