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চন্দ্রনাথ

Sarat Chandra Chattopadhyay
3.71/5 (313 ratings)
धर्म के नाम पर समाज के ठेकेदार, आम आदमी पर किस तरह हावी होते हैं, यह सर्वविदित है। उन्हें अपने चंगुल में फंसाने के लिए इन ठेकेदारों ने क्याक्या प्रपंच नहीं किए?
‘चंद्रनाथ’ और ‘वैकुंठ का दानपात्र’ शरतचंद्र के दो ऐसे उपन्यास हैं, जिन के नायक परंपरागत सामाजिक बंधनों और संकीर्ण मानसिकताओं के शिकार हैं। अंततः क्या वे रूढ़िवादी सामाजिक बंधनों को तोड़ सके या समाज की बुराइयों से लड़ सके?
भारतीय साहित्यकार शरतचंद्र के दो अनूठे उपन्यासों का एकत्र संग्रह, सभी वर्गों के पाठकों के लिए रोचक, सरल एवं सुबोध हिंदी में पठनीय एवं संग्रहणीय।
Format:
Pages:
pages
Publication:
Publisher:
দি স্কাই পাবলিশার্স
Edition:
Language:
ben
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:
B0DN1HJXS5

চন্দ্রনাথ

Sarat Chandra Chattopadhyay
3.71/5 (313 ratings)
धर्म के नाम पर समाज के ठेकेदार, आम आदमी पर किस तरह हावी होते हैं, यह सर्वविदित है। उन्हें अपने चंगुल में फंसाने के लिए इन ठेकेदारों ने क्याक्या प्रपंच नहीं किए?
‘चंद्रनाथ’ और ‘वैकुंठ का दानपात्र’ शरतचंद्र के दो ऐसे उपन्यास हैं, जिन के नायक परंपरागत सामाजिक बंधनों और संकीर्ण मानसिकताओं के शिकार हैं। अंततः क्या वे रूढ़िवादी सामाजिक बंधनों को तोड़ सके या समाज की बुराइयों से लड़ सके?
भारतीय साहित्यकार शरतचंद्र के दो अनूठे उपन्यासों का एकत्र संग्रह, सभी वर्गों के पाठकों के लिए रोचक, सरल एवं सुबोध हिंदी में पठनीय एवं संग्रहणीय।
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Pages:
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দি স্কাই পাবলিশার্স
Edition:
Language:
ben
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:
B0DN1HJXS5