मानव का उपन्यास ‘साक्षात्कार’ लेखन एवं वास्तविकता के बीच बहुत दिलचस्प आवाजाही करता है और लेखक, लेखन तथा उसके जीवन के भेद को कथासूत्र में पिरोता है। इस उपन्यास के तीन मुख्य पात्रों की अपनी-अपनी कहानी हैं, तीनों एक ही कहानी के तीन संस्करण हैं, लेकिन किस तरह वे एक-दूसरे के वास्तविक जीवन और फ़िक्शनल ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं- इस उपन्यास का बहुत ही उल्लेखनीय पक्ष है। एक मनुष्य का कितना जीवन वास्तविक है और उस वास्तविकता में कल्पना कहाँ से प्रवेश करती है और किस तरफ़ यात्रा करती है- इस उपन्यास के मूल में है।
मानव का उपन्यास ‘साक्षात्कार’ लेखन एवं वास्तविकता के बीच बहुत दिलचस्प आवाजाही करता है और लेखक, लेखन तथा उसके जीवन के भेद को कथासूत्र में पिरोता है। इस उपन्यास के तीन मुख्य पात्रों की अपनी-अपनी कहानी हैं, तीनों एक ही कहानी के तीन संस्करण हैं, लेकिन किस तरह वे एक-दूसरे के वास्तविक जीवन और फ़िक्शनल ज़िंदगी को प्रभावित करते हैं- इस उपन्यास का बहुत ही उल्लेखनीय पक्ष है। एक मनुष्य का कितना जीवन वास्तविक है और उस वास्तविकता में कल्पना कहाँ से प्रवेश करती है और किस तरफ़ यात्रा करती है- इस उपन्यास के मूल में है।