कड़कती धूप-सा पिता । नर्म छाँव-सी माँ। एक सकुचाया-सा लड़का । एक धक-सी गोरी लड़की । और एक अजीब-सी प्रेम कहानी । एक ऐसी कहानी जिसमें प्रेम तो तरतीब से सिमटा हुआ है, लेकिन कहानी बेतरतीब-सी जाने कहाँ से कहाँ तक फैली हुई है ! # पटना साइंस कॉलेज के केमिस्ट्री लैब से लेकर देहरादून इंडियन मिलिट्री एकेडमी के चेटवुड परेड-ग्राउंड तक । # बिहार के विधान-सभा चुनाव से लेकर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक तक । # शाहरुख़ ख़ान की 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर सलमान ख़ान की 'सुल्तान' तक। कहानी, जो अपनी तरतीब सी बेतरतीबी में 'हमने कलेजा रख दिया- चाकू-की-नोक-पर' से उठती है तो फिर 'ऐसी-नज़र-से-देखा-उस- ज़ालिम ने चौक पर ही जाकर गिरती है।
कड़कती धूप-सा पिता । नर्म छाँव-सी माँ। एक सकुचाया-सा लड़का । एक धक-सी गोरी लड़की । और एक अजीब-सी प्रेम कहानी । एक ऐसी कहानी जिसमें प्रेम तो तरतीब से सिमटा हुआ है, लेकिन कहानी बेतरतीब-सी जाने कहाँ से कहाँ तक फैली हुई है ! # पटना साइंस कॉलेज के केमिस्ट्री लैब से लेकर देहरादून इंडियन मिलिट्री एकेडमी के चेटवुड परेड-ग्राउंड तक । # बिहार के विधान-सभा चुनाव से लेकर भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक तक । # शाहरुख़ ख़ान की 'दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर सलमान ख़ान की 'सुल्तान' तक। कहानी, जो अपनी तरतीब सी बेतरतीबी में 'हमने कलेजा रख दिया- चाकू-की-नोक-पर' से उठती है तो फिर 'ऐसी-नज़र-से-देखा-उस- ज़ालिम ने चौक पर ही जाकर गिरती है।