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Parindon sa libaas

Neelam Saxena Chandra
4.45/5 (40 ratings)
आदमी के पैदा होते ही, उसे न जाने कौन-कौन सी चार दिवारियों में बंद कर दिया जाता है! पर उसे यूँ बाँधने वाले यह भूल जाते हैं कि आदमी के जिस्म को ही बाँधा जा सकता है, रूह को नहीं! रूह तो आज़ाद होती है! रूह तो मानो परिंदों के लिबास में आती है, और वो उड़ना ही जानती है| और उसकी उड़ान की दिशा भी तय है – अँधेरों से उजालों की ओर!
हमारी रूह में ऊँची और उन्मुक्त उड़ान का जोश भरती , लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड होल्डर, नीलम सक्सेना चंद्रा की लिखी हुई पचास नज़्में,“परिंदों सा लिबास” काव्य संग्रह में पेश हैं|
Format:
Paperback
Pages:
114 pages
Publication:
2024
Publisher:
Authorspress
Edition:
1st
Language:
hin
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:

Parindon sa libaas

Neelam Saxena Chandra
4.45/5 (40 ratings)
आदमी के पैदा होते ही, उसे न जाने कौन-कौन सी चार दिवारियों में बंद कर दिया जाता है! पर उसे यूँ बाँधने वाले यह भूल जाते हैं कि आदमी के जिस्म को ही बाँधा जा सकता है, रूह को नहीं! रूह तो आज़ाद होती है! रूह तो मानो परिंदों के लिबास में आती है, और वो उड़ना ही जानती है| और उसकी उड़ान की दिशा भी तय है – अँधेरों से उजालों की ओर!
हमारी रूह में ऊँची और उन्मुक्त उड़ान का जोश भरती , लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड होल्डर, नीलम सक्सेना चंद्रा की लिखी हुई पचास नज़्में,“परिंदों सा लिबास” काव्य संग्रह में पेश हैं|
Format:
Paperback
Pages:
114 pages
Publication:
2024
Publisher:
Authorspress
Edition:
1st
Language:
hin
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin: