Read Anywhere and on Any Device!

Subscribe to Read | $0.00

Join today and start reading your favorite books for Free!

Read Anywhere and on Any Device!

  • Download on iOS
  • Download on Android
  • Download on iOS

বড়দিদি

Sarat Chandra Chattopadhyay
4.02/5 (793 ratings)
‘देवदास’ और ‘चरित्रहीन’ जैसी कालजयी रचनाओं के रचनाकार शरतचंद्र के बहुचर्चित उपन्यासोंµ ‘बड़ी दीदी’, ‘स्वामी’ और ‘निष्कृति’ में रूढ़िवादी समाज की निर्मम क्रूरता के साथसाथ नारीवेदना की गहन अभिव्यक्ति हुई है। संभवतया इसी कारण उन्हें ‘नारी वेदना का पुरोहित’ कहा जाता है।
इन उपन्यासों में शरतचंद्र ने नरनारी संबंधों को एक नए धरातल पर स्थापित करने का प्रयास भी किया है।
उन के उपन्यासों की सामाजिक समस्याओं के तानबाने में उन की रोमानी प्रवृत्ति की छाप भी स्पष्ट दिखाई देती है।
अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण शरतचंद्र चट्टोपाध्याय उन भारतीय रचनाकारों की पहली पंक्ति में गिने जाते हैं, जिन्होंने परंपरागत बंधनों, संकीर्ण मानसिकताओं, हीनताओं और दुर्बलताओं के मायाजाल से निकाल कर हिंदू समाज, विशेषतया नारियों को उदार एवं व्यापक दृष्टि प्रदान करने का प्रयास किया है।
उन की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उन की रचनाओं का भारतीय ही नहीं, विश्व की प्रायः सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
Format:
Pages:
53 pages
Publication:
1913
Publisher:
Edition:
Language:
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:
B0DTTCD96P

বড়দিদি

Sarat Chandra Chattopadhyay
4.02/5 (793 ratings)
‘देवदास’ और ‘चरित्रहीन’ जैसी कालजयी रचनाओं के रचनाकार शरतचंद्र के बहुचर्चित उपन्यासोंµ ‘बड़ी दीदी’, ‘स्वामी’ और ‘निष्कृति’ में रूढ़िवादी समाज की निर्मम क्रूरता के साथसाथ नारीवेदना की गहन अभिव्यक्ति हुई है। संभवतया इसी कारण उन्हें ‘नारी वेदना का पुरोहित’ कहा जाता है।
इन उपन्यासों में शरतचंद्र ने नरनारी संबंधों को एक नए धरातल पर स्थापित करने का प्रयास भी किया है।
उन के उपन्यासों की सामाजिक समस्याओं के तानबाने में उन की रोमानी प्रवृत्ति की छाप भी स्पष्ट दिखाई देती है।
अपनी इन्हीं विशेषताओं के कारण शरतचंद्र चट्टोपाध्याय उन भारतीय रचनाकारों की पहली पंक्ति में गिने जाते हैं, जिन्होंने परंपरागत बंधनों, संकीर्ण मानसिकताओं, हीनताओं और दुर्बलताओं के मायाजाल से निकाल कर हिंदू समाज, विशेषतया नारियों को उदार एवं व्यापक दृष्टि प्रदान करने का प्रयास किया है।
उन की लोकप्रियता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उन की रचनाओं का भारतीय ही नहीं, विश्व की प्रायः सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
Format:
Pages:
53 pages
Publication:
1913
Publisher:
Edition:
Language:
ISBN10:
ISBN13:
kindle Asin:
B0DTTCD96P