रात के अंधेरे में सहायता तलाशता वो आगंतुक सुनील के फ्लैट में जैसे आसमान से टपका था । सुनील नहीं जानता था कि वो एक अजनबी की सहायता करने के चक्कर में एक ऐसी बड़ी और संगठित संस्था से दुश्मनी मोल ले चुका था जिसके अस्तित्व तक को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था । संस्था के सदस्य राजनगर के सभ्य समाज के अभिन्न अंग थे और वे सब अब सुनील की जान के पीछे हाथ धो कर पड़े थे !
रात के अंधेरे में सहायता तलाशता वो आगंतुक सुनील के फ्लैट में जैसे आसमान से टपका था । सुनील नहीं जानता था कि वो एक अजनबी की सहायता करने के चक्कर में एक ऐसी बड़ी और संगठित संस्था से दुश्मनी मोल ले चुका था जिसके अस्तित्व तक को कोई स्वीकार करने को तैयार नहीं था । संस्था के सदस्य राजनगर के सभ्य समाज के अभिन्न अंग थे और वे सब अब सुनील की जान के पीछे हाथ धो कर पड़े थे !