दीवानचन्द एक ऑटोमोबाइल कम्पनी का मैनेजर था जिसे अपनी काम के सिलसिले में अक्सर राजनगर से बाहर जाना पड़ता था । ऐसे ही एक टूर के बाद एक सुबह उसे चिट्ठी मिली जिसमें उस पर इल्जाम लगाया गया था कि अपने पिछले टूर के दौरान उसने एक मासूम लड़की की जिंदगी तबाह डाली थी और उसकी सारी कारगुजारियों का कच्चा चिट्ठा उसकी बीवी के सामने खोल देने की धमकी दी गयी थी । जबकि खुद दीवानचंद का दावा था कि उसने कुछ गलत नहीं किया था ।
दीवानचन्द एक ऑटोमोबाइल कम्पनी का मैनेजर था जिसे अपनी काम के सिलसिले में अक्सर राजनगर से बाहर जाना पड़ता था । ऐसे ही एक टूर के बाद एक सुबह उसे चिट्ठी मिली जिसमें उस पर इल्जाम लगाया गया था कि अपने पिछले टूर के दौरान उसने एक मासूम लड़की की जिंदगी तबाह डाली थी और उसकी सारी कारगुजारियों का कच्चा चिट्ठा उसकी बीवी के सामने खोल देने की धमकी दी गयी थी । जबकि खुद दीवानचंद का दावा था कि उसने कुछ गलत नहीं किया था ।