‘कम्पनी’ के नये सरताज से झूझते, हर पल पनाह मांगते विमल की तरफ एक कानून - वो कानून जिससे वो भागता फिर रहा था - के मुहाफिज ने जब विमल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो विमल विश्वास नहीं कर पाया ! कदम कदम पर दुश्मनों से घिरे विमल के लेख में ये एक नया पड़ाव था !
‘कम्पनी’ के नये सरताज से झूझते, हर पल पनाह मांगते विमल की तरफ एक कानून - वो कानून जिससे वो भागता फिर रहा था - के मुहाफिज ने जब विमल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो विमल विश्वास नहीं कर पाया ! कदम कदम पर दुश्मनों से घिरे विमल के लेख में ये एक नया पड़ाव था !