पुलिस इन्स्पेक्टर सिन्हा की दुहाई थी कि लोग बढ़ते हुए क्राइम के लिये पुलिस को जिम्मेदार ठहराने में, पुलिस को नाकारा, कामचोर और रिश्वतखोर साबित करने में तो सबसे आगे रहते हैं; लेकिन पुलिस को सहयोग देने से और अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिये बहाने ढूंढते हैं । लेकिन एक आदमी, सिर्फ एक आदमी, पुलिस को सहयोग देने से न डरा । और फिर उस सहयोग की उसे भयंकर कीमत चुकानी पड़ी । लोग उसके खून के प्यासे हो गए ! उसकी जान के दुश्मन हो गए !
पुलिस इन्स्पेक्टर सिन्हा की दुहाई थी कि लोग बढ़ते हुए क्राइम के लिये पुलिस को जिम्मेदार ठहराने में, पुलिस को नाकारा, कामचोर और रिश्वतखोर साबित करने में तो सबसे आगे रहते हैं; लेकिन पुलिस को सहयोग देने से और अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिये बहाने ढूंढते हैं । लेकिन एक आदमी, सिर्फ एक आदमी, पुलिस को सहयोग देने से न डरा । और फिर उस सहयोग की उसे भयंकर कीमत चुकानी पड़ी । लोग उसके खून के प्यासे हो गए ! उसकी जान के दुश्मन हो गए !